हिंसा के कारण

राशमी
कस्तूरबा गाँधी बालिका विघालय
महराजगंज , जौनपुर

“औरत ने आदमी को जन्म दिया
आदमी ने उसे बाजार दिया
जब चाहा उसे मसला – कुचला
जब चाह उसे दुतकार दिया”

वही आदमी उस औरत का तिरस्कार करता है और वह सहती रहती है । वह नही अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार पर आवाज नही उठाती है क्या हम औरतो की मानसिकता ऐसी बन गयी है, क्या हम अपने आप को बेबस और लाचार समझती है और कई बार ऐसा होता है की औरते समाज व् लोक लाज के डर से अपनी आवाज नही उठाती है , और वह इस हिंसा की शिकार होती है जो की बहुत गलत बात है ।

घरेलू हिंसा कई तरह के हो सकते है

1- औरत के अपने अधिकारों हा हनन होना .
2- गाली – गलोज देना औरत को
3- औरतो के साथ मारपीट करना
4- औरतो को घर से बाहर आने जाने पर रोक लगाना
5- उन्हें पैसे न देना आदि ।

इस हिंसा के कारण –

1- आदमी को नशे की लत होना
2- गरीबी ।

हमारे समाज में इसके विरुद्ध कई कानून बनाए गये है । इसके अंतर्गत पीड़ित को सरकार की तरह से सुरक्षा मुहैय्या करायी गई है । पीड़ित इस अत्याचार के खिलाफ चिहे तो ‘498 ए ‘ के तहत पुलिस केस भी कर सकते है । इसलिए हम औरतो को चाहिए की इसके विरुद्ध आवाज उठाए और अपने ऊपर होने वाले अत्याचार से मुक्ति पाये तथा पुरषों को भी चाहिये की वह महिलाओ का सम्मान करे और उन्हें वह ऊँचा दर्जा दे , जिनकी वह अधिकारी है ।

” नारी निंदा मत करो , नारी नर की खाल
नारी से ही होता है , ध्रुव प्रहलाद समान ”

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बुरी मानसिकता

Collective Creation
के.जी.बी.वी. बदलापुर जौनपुर

समाज में रहने वाले ऐसे दरिंदो को सुधारने के लिए हम लड़कियों का यही विचार है कि उन्हें फाँसी की सजा देना बहुत कम है बल्कि ऐसे दरिंदो को नपुंसक बना उसके हाथ पैर काट किया जाये तथा एक आँख निकाल देना चाहिए ऐसी सजा देनी चाहिए जैसे एक लड़की जिन्दगी भर इस घटना से दुखी हो मर मर के जीती है उसी प्रकार उसके साथ ऐसा दुराचार करने वाला भी जिन्दगी भर घुट घुट कर जिएँ तथा उसे अपने गलती का एहसास हर पल हर पग पर होता रहे । उसे देखने से ऐसी बुरी मानसिकता वाले व्यक्ति भी ऐसा करने से डरे ।
इस प्रकार की सजा देने से सिर्फ समाज में ही नही बल्कि लोगो के दिलों में डर समा जायेगा तथा लोग ऐसे गलत कार्य करने से डरेंगें । तथा हम लड़कियों का यही विचार है कि हमें इतना ताकतवर बनाया जाये जिससे ऐसी दुर्घटना घटने पर हमें हिम्मत से सामना कर विजय हासिल कर सके।

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तेरी यही कहानी

राशमी
कस्तूरबा गाँधी बालिका विघालय महाराजगंज , जौनपुर

” नारी जीवन हाय , तेरी यही कहानी
आँचल में दूध , और आँखों में पानी ”

सर्वप्रथम इस घिनोने कार्य पर रोक लगे तथा इसके लिए सरकार और भी कठोर कदम उठाए । हमारे यहाँ बलात्कार के दोषी की सजा 7 वर्ष की कैद है , जो की कम है । इसके लिए और कठोर – कानून बनिए जाये । यौन – उत्पीडन के विषय को कक्षा की पाठ्य – पुस्तक में शामिल किया जाये , जिससे बच्चियाँ इस विषय पर जागरुक बने । लडकियों को स्कूल में आत्मरक्षा के तरीको के बारे में बताने के लिए विशेष ट्रेनरो की नियुक्ति हर ब्लोक स्तर पर की जाये ।
हमारे यहाँ बालिंग होने की उम्र को 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष की जाये , जिससे उस छठवे दरिंदो को भी कड़ी सजा मिल सके ।
ऐसे मामले फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में जाये , जिससे इनका निपटारा जल्द हो सके । हर तहसील में कम से कम एक महिला थाना की स्थापना होनी चाहिए । परिवारजनों को शुरुआत से ही बच्चो को इस बात की सीख देनी चाहिए की दूसरो के घर की लडकियों को अपने घर की लडकियों की तरह ही समझे । उनका सम्मान करे तथा उन्हें अपने बराबर ही मने । बसों पर काले शीशे प्रतिबंधित हो । फिल्मे समाज का आइना होती है । अंत अश्लील फिल्मो पर रोक लगे । जगह – जगह चेक – पोस्ट बनाकर पुलिसे द्वारा वाहनों की तलाशी ली जाये । इन कठोर कदमो को उठाकर ही हम और हमारा समाज इस समस्या से निपट सकते है तथा इस दिशा में एक सकारात्मक बदलाव ल सकता है ।

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मेरे सवाल

सुभाषिनी
कक्षा – आठ, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, मलीहाबाद

 

लड़कियों को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए । दिल्ली रेप कांड में जो हुआ वह हमारे लिए ही नहीं पूरे संसार के लिए शर्मनाक घटना है , हम सभी लडकियाँ अपने समाज में कितनी असुरक्षित है हम चाह कर भी दामिनी के साथ हुए दुष्कर्म को सही न्याय नहीं दिला सके । पहले दिन जब हमारी टीचर ने हमें सब बताया तो हम सब सिहर गए । जब कुछ दिन के बाद वह मर गई तो हम सब ने सोचा कि काश वह जिन्दा होती तो कम से कम अपनी बात बताती । क्या हम लडकियाँ कभी भी सुरक्षित नहीं रहे पायेगे ? क्या पूरे जीवन हम लड़कियों को अपने होने का पछतावा होगा ? क्या दुराचारी लड़कों को हम सजा दिला पायेगें ? क्या स्त्रियों को न्याय मिलेगा ? क्या हमारे समाज में बदलाव होगा ? क्या हम एक प्रश्न  ही बने रहेगें

 

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दिल्ली गैंगरेप पर मेरे विचार

 

पुष्पा रावत 
कक्षा – 8 , कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, मलीहाबाद

दिल्ली गैंगरेप घटना पर मै अपने विचार देना चाहती हूँ की जो यह कांड हुआ है इस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए , जिससे दामिनी के साथ जो घटना हुई है। यह घटना किसी और के साथ न हो। और जिन लोगो ने यह किया है उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उस लड़की का कुछ सपना था। वह कुछ बनाना चाहती थी। लेकिन कुछ पलों में उसके सारे सपने टूटकर बिखर गए। और जीने की आशा ख़त्म हो गई। दामिनी को क्या पता था की उसके साथ यह भी हो सकता है?
क्या इसके लिय वह जिम्मेदार थी?
हमारे समाज में ऐसी बहुत साडी घटनाये होती है पर किसी न किसी तरीके से उसे दबा दिया जाता है ऐसा क्यों? एक लड़की की जिन्दगी उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर उसके साथ बलात्कार हो जाता है तो लड़की स्वंय को दोषी मान बैठती है।और जीवन में सारे खवाबो को भुलाने पर मजबूर हो जाती है। और अपने को ख़त्म कर लेती ई यदि ऐसा चलता रहा तो लडकियों का जीवन आगे नहीं बढ़ेगा|
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लडकियों को सम्मान से जीने का अधिकार है

 

चाँदनी रावत
कक्षा – आठ, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, मलीहाबाद

लडकियो को समाज में सम्मान से जीने का अधिकार तो है पर हम लडकियाँ  न तो समाज में सम्मान पूर्वक जी पा  रही  है ,न ही सुरक्षित है । भारत मे लडकियाँ  सपने तो देखती है पर वह पुरे नहीं हो पाते  है । लडकियाँ  या महिलाये समाज में पूरी तरह  से सुरक्षित  एव  अपनी ज़िंदगी  को अत्यंत सम्मानपूर्वक व्यतित  करना चाहते है और अपने आप को समाज में सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करना चाहती है , पर यह इच्छा उनकी पूरी नहीं हो पा  रही है ।अगर देश में ऐसे लडकियों के साथ दुष्ट कर्म होते रहे तो शायद लडकियों की इच्छा कभी नहीं पूरी हो पायेगी । कुछ लडकियों की पारिवारिक समस्यों की वजह से उनके सपनो का दम घुट जाता है और जो पारिवारिक समस्यों से पीछा  छुड़ाकर  अपने सपनो को साकार करने की कोशिश करती है तो वह समाज में फैले दरिंदो से पीछा  नहीं छुडा  पाती है । और उनका एव   उनके सपनो का दमन हो जाता है और उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता  वह याद बनकर रह जाती है और समाज में फैले दरिंदो का अत्याचार और भी बढ  जाता है ।
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महिला सुरक्षा

 

शिवानी तिवारी
कक्षा – आठ , कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, मलीहाबाद

 दिल्ली गैगरेप  पर मै अपने विचार लिख रही हू । दिल्ली गैगरेप में दामिनी नाम की लड़की के साथ जो भी हुआ  ऐसा किसी भी महिला के साथ घटना हो सकती है । दामिनी के भी कुछ सपने थे जो की अपराधियों ने पुरे नही होने दिये  , यह सब इतना घटित होने के बाद इसका कुछ उपाय करना चाहिए   जिससे की  लडकियाँ  भी उतनी ही आज़ादी पा सके जितने की लड़के , क्यों कि लडकियाँ  अपनी जिंदगी जीना चाहती है , और अगर यह अपराध होते रहेंगे  तो समाज में लडकियो का जीना मुशिकिल  हो जाएगा । जो लोग यह अपराध करते है उन्हें ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे की यह अपराध न हो । इन लोगो को कड़ी सजा देनी चाहिए । लेकिन कोर्ट ने उन्हें ऐसी कोई सजा नही दी जिसे देख कर या सुनकर लोग इतना ज्यादा  डर जाएँ की कभी भी ऐसी आगे कोई घटना न हो । अपराधियों को सीधे फाँसी  की सजा देनी चाहिए । जिसे देखकर व सुनकर लोग ऐसा कर्म करने से डरे  और लडकियाँ अपने सभी सपने पूरे  कर सके ।
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दिल्ली रेप काण्ड

गोल्डी यादव 
कक्षा – आठ ,  कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, मलीहाबाद

दिल्ली रेप काण्ड बहुत दुखद पूर्ण और बहुत ही शर्मनाक काण्ड था । यह घटना दिल्ली में 16 दिसंबर को घटित हुई , लड़की ने जो शारीरिक उत्पीडन झेला । उसको अगर हम सब लोग सोचते है तो आँखों में आंसू निकल आते है , और मन भयभीत हो जाता है । दुर्घटना के दिन से हमने उसके जीवित रहने की प्रार्थना की और यह चाहते थे की काश वह जीवित रहे तो कम से कम अपराधियों को दण्ड मिलता देखे । जिससे उसके साथ दुष्ट कर्म किया जिससे उसकी आत्मा को शांति मिल जाती । मेरे विचार से अपराधियों को फाँसी  की सजा नहीं बल्कि उनको कारागार में डाल देना चाहिए व् अंग भंग कर देना चाहिए उनको यह सदैव महसूस होता  रहे की उन्होंने कभी कितना घिनोना अपराध किया था । ऐसे अपराधियों को तुरंत सजा देनी चाहिए और हमें पूरे विश्व में फैली हुई इस घटना को कभी भूलना नही चाहिए और अपराध करने वाले अपराधियों को ऐसी सजा देनी चाहिए की अपराध करने से पूर्व वे कई बार सोचे ।

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Critical dialogue videos in my school

 

Deepshikha Gautam
Class 8, KGBV Malihabad, Lucknow

Yes we can change this world, I am Deepshikha Gautam  15 year old class 8th student from Mohammad Nagar, Taluquabad, Lucknow. I am the youngest among five sisters and two brothers. According to my teachers, I am focused and I dream big. I am proficient in three languages – Hindi, Urdu and English.

Like any other lower middle class Indian family, my parents were biased and gave more importance and facilities to the boys. Last year when I went home for the summer vacations, I noticed this discrimination and raised my voice against this unfair practice. I have been watching critical dialogues of Prerna School girls in the videos provided by DSH and this helped me to talk to my parents. I managed to convince them to change their views and be more sensitive towards me and my sisters.

DSH critical dialogues are real life saviors because they empowered me and made me feel that I too is an important part of the family and society. I am truly thankful to the DSH team for introducing critical dialogue videos in my school.

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स्त्रियों का शोषण

राधिका मौर्या(उम्र 15 वर्ष)
कक्षा 8, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय मडिहान मिर्जापुर

देश की राजधानी में एक बार फिर दरंदिगी की सभी सीमाए पार हो गयी है। बदमाशो  ने दिल्ल्ली की एक छात्रा के साथ क्रूरता की सभी हदे पार कर दी  और यह दिल्ली के लिए कोई  नयी बात नहीं है।दिल्ली जो की भारत कि  राजधानी है वहाँ  रात 9:30 बजे यह घटना घटी और पुलिस इस घटना को रोकने में अक्षम रही ।यह दिल्ली में आम बात है लेकिन इस बार महिला के पुरुष दोस्त के सामने आने पर यह मामला प्रकाश में आया है। बदमाशों ने युवती के साथ ज़बरदस्ती की और उसके पुरुष मित्र को बेरहमी से पीटने के बाद रस्ते  पर फेक दिया।युवती ने साहस का परिचय दिया लेकिन उसकी बदमाशो के सामने एक न चली। बदमाश यह  घ्रणित  कार्य चलती बस में करते रहे।चलती बस में तक़रीबन सवा घंटे तक बदमाश उसे पीटते रहे और ज़ख़्मी करते रहे और लोगो को कुछ पता नहीं चला।
सुझाव के तौर पर लोगो ने स्त्रियों को अधिक वस्त्र  पहनने की वकालत की लेकिन मै उन लोगो से पूछना चाहती हूँ कि अधिक वस्त्र पहनने से क्या उनकी  सुरक्षा मुकम्मल हो पायेगी? पूरे देश में इस घटना को लेकर कड़ा  आक्रोश था और  ज़नान्दोलन भी हुए लेकिन इतना समय बीत जाने के बावजूद दोषियों को कोई सजा नहीं हुयी।मेरा सुझाव है कि उन दोषियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि दुबरा कोई यह घृणित कार्य करने कि हिम्मत न कर सके। अब हमें यह कहना है , पूरे जोश और पूरी ताकत के संग आओ करें पुरषों से जंग।

 

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