निर्भया तुम्हें सलाम

Suman Diwedi

Study Hall School

निर्भया तुम्हें सलाम …….

रात थी घनेरी
सड़क थी अँधेरी
नहीं थी अकेली।
साथ था मित्र
बिलकुल सच्चरित्र
समझ कर हालात
बोला-ना डर
मै हूँ तेरे साथ

तभी आवाज़ आयी
बहन क्यों हो घबराई ?
तुम्हे जहाँ जाना है
हमें भी वहीँ जाना है।

वह बैठ गई विश्वास पर
स्वयं की ही लाश पर
उसमे थे दरिन्दे,
गिद्ध नुमा परिंदे ।

नियत थी उनकी खोटी
नोंचने लगे उसकी बोटी
उलझ रही थी सांसे
तार-तार थी पोशाके

अश्रु लहु ,लहु अश्रु,
जीवन की गुहार
ईश्वर से पुकार
मदद मदद
वह चिल्लाई-

कही से कोई आवाज़ न आई
सब थे गूंगे बहरे
साथ थी उसकी किस्मत
लुटी हुई अस्मत
केश थे खुले
अरमाँ थे मरे
धड़कन थी,पर चाह नहीं
जीवन था पर आत्मा नहीं

जो लड़ते- लड़ते मर गई
कह दिया शहीद हो गई
हे देश! कैसा है तेरा परिवेश?
जो जीना चाहता है,
वो लड़कर मर जाता है।
और मरकर भी नाम अमर कर जाता है!!

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5 thoughts on “निर्भया तुम्हें सलाम

  1. @nitya and poorvi…..thats not true that each person or men do not know the importance of ‘girl’…their are only some cheap coconuts who sees a girl as a toy or machine to full-fill their needs….they should realize the value of a girl….!!

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