शराब का दानव – घर घर की कहानी

प्रियंका चटर्जी 
डिजिटल स्टडी हॉल

श्रीमती अंजु
वार्डन , के.जी.बी.वी .सोनमद्र के सहयोग से

गरीबी एक ऐसा रोग है जिसकी दवा आजादी के  इतने साल बाद भी हम लोग नही ढूंढ़ पाये हैं । भूख , कर्ज़ और बेरोगारी से दुखी लोगो को एक ही इलाज समझ में आता हैं  शराब ! सस्ती , देसी शराब गाँव और शहरो की मलिन बस्तियों के आस पास आसानी से मिल जाती है ।  आदमी जब एक बार शराब पीते हैं और कुछ देर के लिये अपनी परेशानियाँ भूल जाते हैं तो फिर वे इस नशे के आदी हो जाते है । उन्हें कुछ देर जो चैन मिलता है उसके कारण घर वालो , खासतौर पर औरतों और  लड़कियों को भंयकर तकलीफें झेलती पड़ती हैं ।

यह दारु का दानव जिस को अपना शिकार बनाता है , वह अपने वह अपने  होश खो देता है और इंसान से जानवर बनते देर नहीं लगती । इस वर्ग की किसी महिला या किसी लड़की से बात कीजिये – दारु पिये हुए मर्द किस तरह गाली गौज और मार पीट करते हैं इसकी हज़ारो कहानियाँ सुनने को मिलेंगी । बलात्कार जैसे यौन – अपराध ज़्यादातर  नशे की हालत में ही किये जाते हैं । कैसी विडंबना हैं कि जो गरीबी से घबरा कर नशा करने लगते हैं , वे ही दारु खरीदने के लिए कुछ भी करने से नहीं चुकते – घर  से पैसे चुराते हैं , पत्नी से तथा बच्चों से छीन लेते हैं या घर का सामान तक बेच देते हैं । नशे में धुत  होकर अपनी पत्नी से तो ज़बरदस्ती करते भी हैं कभी कभी अपने परिवार और पड़ोस की लड़कियों को भी नहीं छोड़ते । इज्ज़त के नाम पर उनका मुँह सिल दिया जाता है ।

कस्तूरबा गाँधी विघालय, मयोरपुर सोनभद्र में डिजिटल स्टडी हॉल दूवारा संचालित क्रिटिकल डायलाग्स कार्यक्रम के अंतर्गत जब लड़कियों से बात की गई तो सभी ने घर के मर्दों के नशा करने की और उससे होने वाले इन अत्याचारों की बातें बताई ।  उनकी बातों से यही लगा कि यह समस्या इतने लम्बे समय से चली आ रही है कि वे यही सब देखते हुए ही बड़ी हुई हैं । उन्हें लगता है कि आदमी तो दारु पियेंगें ही और पीकर गलत काम भी करेंगें  । न उनकी बात कोई सुनता है न उन्हें यह पता है कि इसका विरोध भी किया जा सकता है । जरूरत है उनकी आवाज सुनने की उन्हें सक्षम बनाने की और भरोसा दिलाने की, कि हम उनके साथ है ।

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