साधना रावत
वीरांगना प्रेरणा स्कूल
ये खुदा क्या कहु क्या सुनू और क्या मैं दिल की बया करू गर बन आये तो भी इस्त्री इस जहा
में तो बन क्या बाख पायेगा तो भी हैवानियत से ।
सिसक -सिसक कर सब कुछ सहती
है फिर भी किसी से कुछ नहीं कहती है ।भाइया भाभी हो या साथी
जीवन में कौन भला नारी का मजबूर नहीं है ,शक्ति किसी की शक्ति की।
मजबूर नहीं है नारी किसी के एहसानों की ।
बस मजबूर है , नारी अपने नारीत्व की भावनाओ की ।
Nishu Singh
Prerna Girls School
हमारे देश में हमेशा नारी को कमज़ोर बनाया गया है /
हमेशा पुरुषो ने नारियो को दबाया डराया और धमकाया है /
और अगर उसने बोलने की हिम्मत जुटाई तो उसे मारा जाता है / या जिस प्रकार से चिल मरे हुए जानवर का माँस खाता है
उसी प्रकार नारी को एक लाश समझ कर पुरुषो ने खाया है /
उठो जागो मत सोओं
जियो अपनी ज़िन्दगी को
मत डरो इन हवानो से
वार करो इनके अभिमानो पर
ये तो भुखे है तुम्हारे
लेकिन तुम !
नहीं हो कोई खाना जिसे खाया जाये
नहीं हो कोई पानी जिसे पिया जाये !तुम इन्सान हो तुममे जान है , जान है
कोई पुरुष नारी को मारता है तो कोई उसे खिलौने की तरह खेलता है
लेकिन पुरुष ये क्यों , नहीं समझते की वो आखिर पैदा एक ,माँ की ही कोख से
होआ है और जो माँ अपने बच्चे को जन्म देती है वो उसे वैसे ही गलत काम करने पर
जान ले भी सकती है
मैं सभी लडकियों से ये कहना चाहती हू की
लड़को से डरो मत अगर वो एक कहे तो तुम
दस कहों ये भारत देश जितना लड़को का है उतना हमारा भी है
संदीप भाटिया
Teacher, Study Hall School
ये कैसा रूप है वहशीपन से भरा
दरन्दगी से भरा
दर्द से भरी, सहमी हुई एक चीख
जो हिला देती है रुला देती है
तुम्हारा होना ही गलत है ?
क्या नारी होना ही है अभिशाप
हैवानियत का ऐसा रूप
डराता है
जिन्दगी जैसे कहीं छुप जाती है
बाहर न निकलना कुछ ना कहना – – –
बस एक चीख- – – – – – – – सहमी हुई – – – – दर्द से भरी
हर सन्नाटे में छुपी – – – – – – – एक चीख
दूर तक जाती है आवाज – – – – – –
पर कोई नही सुन रहा निशब्द
सन्नाटा – – – – — — – –
दरिंदो की दरिंदगी – – – – – — – – – वहशीपन
जहां से मिला प्यार – – – — –
माँ की ममता को किया शर्मसार
उसी ममता , उसी नारी को किया दागदार – – – – –
दर्द से भरी , सहमी हुई – – – – एक चीख
ज्योति वहाल
Prerna Girls School
दिल्ली कांड से हमें कुछ सबक सीखना चाहिए ।
पीड़ित नारी को समाज में हिकारत भरी नज़रो से देखा जाता है
पुरुष वादी मानसिकता और धर्म की दकियानूसी बातो को दर किनार कर
उसे सम्मान की नजरो से देखने की ज़रूरत है
ताकि वह किसी और के द्वारा किये गए अपराध के कारण अपना जीवन
घुट -घुट कर गुजारने को मजबूर न हो ।
मंजिल उन्ही को मिलती है
जिनके सपनो में जान होती है
पंख से कुछ नहीं होता
होसलो से उडान होती है
आंधियाँ है तो क्या दीप जला लेगें हम
उलझने है तो क्या कदम बढ़ा लेगें हम
लाख रोके कोई हमें रूकेगें आज न हम
अपनी मंजिल पर जाकर ही दम लेगें हम
यह जीवन पथ है अद्वित्ये
मत लीक पकड़ कर चला करो
कुछ खोजो रहा नई अपनी
खुद दीपक बनकर जला करो ।
Nehal Bhatia
Prerna Girls School
खुदा ने ‘माँ ‘ से सवाल किया अगर आपके कदमो से जन्नत ले ली जाए और आपसे कहा जाए
की कुछ और मांग लो तो आप खुदा से क्या माँगोगी ……..?
तो ‘माँ’ ने बहुत खुबसूरत जवाब दिया ……………
“मैं अपनी ओलाद का नसीब अपने हाथ से लिखने का हक मांगूगी ।
क्योकि ……
उनकी ख़ुशी के आगे मेरे लिए जन्नत छोटी है।”
कोई माँ जब थपकी से अपने बच्चे को सुलाती है
खुद तो धुप सहती है, बच्चे को आँचल ओढाती है ,
तो यह देख कर ,
माँ तुम्हारी याद आती है ।
जब परीक्षा के दिन मै घबराती थी , किताब खोल के बस सहम जाती थी ,
और माँ मुझे दही चीनी खिलाती थी ,
फिर खाना परोस कर परीक्षा का हाल पूछती थी ,
तो ये सोच ,आँखे नम हो जाती है ,
तब माँ तुम्हारी याद आती है ।
पिता की डाट का सिलसिला ,जब कम नहीं होता ,
माँ का पिता को समझाना के डाटना कोई हल नहीं होता
इस बार जरुर कुछ करके दिखाएगी ,
चुपके -चुपके से कही रो भी आती थी ,तो यह सोच
माँ तुम्हारी याद आती है ।
कॉलेज के दिनों में मस्ती करके घर देर से आना
फिर कोई पुराना सा बहाना बनाना ,
हर गलती को माफ कर वो मुस्कुराती थी ,
तो ऐसे मे माँ तुम्हारी याद आती है ।
हर औरत की यही पहचान है , अपना परिवार संभालना ही सबसे पहला कर्तव्य मानती है ।
फिर भी समाज में वही बेटी ,वही माँ ,वही औरत कोई स्थान नही पाती ।
हमेशा पुरुषो द्वारा दबायी जाती है ।
हर क्षेत्र में पुरुषो द्वारा दबायी जाती है ।
हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाती है फिर भी सुरक्षित कही नहीं खुद को मानती है ।
यही बदलाव हमें समाज में लाना है ।
सुरक्षित हर जगह को औरत के लिए बनाना है ।
वही स्थान उसे दिलाना है जिसकी वो हकदार है
जनम से पहले ही जो मार दी जाती है ,
उसे वही दुलार और प्यार दिलाना है ,
बस माँ हर औरत की कहानी सुन तुम्हारी याद आती है ।
Ruhi badruddin
Vidyasthali Teacher
Based on my exposure, I feel rape is universal and common in many countries. It doesn’t happen only in India or only in Delhi. Raping and mugging someone in public doesn’t happen only to women. It often happens to women and children because they are more vulnerable. There are many instances
Keep campaigning for the change… Silence is of no benefit.
Bani Malhotra
Teacher, Study Hall
We have educated, employed and independent women but our male population has not been taught to deal with the changing social setup. Deep down men are convinced of woman’s inferiority and are traumatized when she seems to hold power over them. And so he sees her as her enemy who must be beaten down. It needs to change.