महिला उत्पीड़न, एक अहसनीय पीड़ा

Nisha Rana
District Institute of Educational Training, Baghpat

“मानव एक अध्यात्मिक एवँ सामाजिक प्राणी है जो जगत के साथ एकत्व पराप्त करता है और मानवता की उन्नति की और अपना योगदान देता है।”
लेकिन 16 दिसम्बर,2012को 23 वर्षीय लड़की के साथ चलती हुई बस में बड़ी बर्बरता के साथ उस लड़की के साथ जो गेंग्रपे हुआ,उससे प्रतीत होता है कि जहाँ भारत को एक संस्कारशील देश मन जाता रहा है, किन्तु ऐसे देश में भी नारी जाति सुरक्षित नहीं है यब यह घटना सम्पूर्ण देश के लिए दुखद है।
इस घटना के सुनने मात्र से ही सम्पूर्ण मानव जाती हिल जाती है, लेकिन इस घटना में सम्मलित युवकों ने इस घृणित कार्य को करने से पहले तनिक भी नहीं सोचा।

16 दिसम्बर’2012 दिल्ली की घटना उस छात्र एवं उसके परिवार के लिए किसी प्रकार की मृत्यु से कम नहीं था।छात्र के उस दिन के 13 दिन तक जो सांसे ली, यह घटना हमारे द्वारा शब्दों में व्यक्त तक नहीं की जा सकती है।

29 दिसम्बर,2012 कि रात 2:15 बजे सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में छात्रा ने अपना शरीर तो त्यागा, लेकिन हम सब ने सोचा है कि क्या कभी उसकी आत्मा भी इस दर्द को भुला सकेगी, मेरे विचार से कभी भी नही।

शायद एक पल के लिये भी नही भुला सकती।
कहते है कि क्षण भर का दुःख सम्पूर्ण जीवन भर की खुशियो से बड़ा होता है, उस लड़की के साथ हुई घटना से शायद यह कथन पूर्णता सही है।
जिंदगी में सदा मुस्कराते रहिए
तारो की तरह चमकते रहिए जिंदगी एक साज है इसे रहिये बजाते,
जिंदगी एक गीत है इसे गुनगुनाते रहिए।

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