महिलाएं, असुरक्षित, असमान, अनचाही

कंचन लता द्विवेदी 
कक्षा 4, अध्यापक,

यहाँ की नारी कहने को तो देवी अवश्य है किन्तु व्यहार और सम्मान में उसका स्थान पुरषों से कम ही रहता है हम महिलाएं जिस समाज में जी रही  है वह पुरुष प्रधान समाज है यह पुरुष प्रधान समाज महिलायों को आगे नहीं बढ़ने नहीं देना चाहता है उसकी उन्नति में पग – पग पर बाधाएं उत्पन्न करता है घर से बाहर निकलने के बाद महिलाएं सुरक्षित नहीं है! घर में भी नहीं! आये दिन बलात्कार छेड़खानी आदि तमाम घटनाएं हो रही है यह किसी एक की समस्या नहीं है बल्कि पूरे देश की समस्या है! इसके खात्मे के लिए एक सखत कानून की जरूत है और इसके लिए जरूरी है की सरकार एक सखत कानून बनायें!
एक बेटी दो कुलो की इज्ज़त को संभालती है वह एक परिवार की निर्मात्री भी होती है! फिर भी लडकियों का दर्जा लडको से नीचे ही रहता है दोनों का जन्म समान ही होता है फिर भी लडको की जरूरत पढाई लिखाई आदि सभी पैर विशेष ध्यान दिया जाता है जब की लड़कियों की ख्वाहिशों को नजरअंदाज कर उन्हें समझाकर उनकी इछाओ को दबा दिया जाता है

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