Indian’s Daughter Campaign 2018: Unwanted, Unequal and Unsafe

प्रेरणा बालक/बालिका विद्यालय, स्टडी हाॅल स्कूल, व सेन्टर फाॅर लर्निंग के 400 विद्यार्थियों द्वारा, भारत की बेटियांः अनचाही, असमान और असुरक्षित विषय पर जागरूक्ता रैली निकाली, रैली स्टडी हाल स्कूल से निकल कर पटेलपुरम, मलेशा मऊ, खरगापुर, से होते हुए मकदूमपुर, गोमतीनगर पर समाप्त की गई। जिसमें लगभग 4000 लोगों तक बाल विवाह, छेड़छाड़ और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए संदेश पहुंचाया गया। विद्यार्थियों ने नुकड नाटक किया, नारे लगाये व बाल विवाह कानून के बारे में लोगों को बता कर समुदाय के लोगों को जागरूक किया और उन्हे शपथ दिलाया कि वो अपने बच्चों का विवाह सही समय पर और उनकी इच्छा के अनुसार करेंगे और बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा नही आने देंगे।

स्टडी हाॅल ऐजुकेशनल फाउन्डेशन द्वारा पिछले 6 वर्षों से इन्डियाज़ डाटर कैम्पेन नाम से लड़कियों और औरतों के खिलाफ हो रही हिंसा के विरूद्व जागरूक्ता अभियान चालाया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी इन्डियाज़ डाटर कैम्पेन के अन्र्तगत भारत की बेटीयां, अनचाही, समानय, असुरक्षित मुद्दे पर पूरे उत्तर प्रदेश में जागरूक्ता अभियान चलाया जा रहा है। आज दिनांक 28/04/2018 को लखनऊ के चार क्षेत्रों में पटेलपुरम, मलेशा मऊ, खरगापुर, और मकदूमपुर, में जागरूक्ता रैली निकाली गई, जिसमें प्रेरणा बालक/बालिका विद्यालय, स्टडी हाॅल स्कूल, व सेन्टर फाॅर लर्निंग के 400 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। जिसमें विद्यार्थियों ने नाटक के द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, नाटक देखने के बाद समुदाय की कई महिलाओं ने कहा कि उनका विवाह 14, 15 वर्ष की उम्र में ही हो गया था लेकिन अब वो अपनी बेटियों के साथ ऐसा नही होने देंगी। मकदूमपुर से असलम जी ने कहा कि लड़कियों के साथ हो रही हिंसा को रोकने के लिए पूरे समाज को साथ आना होगा, मेरी बहन का बाल विवाह हुआ था लेकिन अब मैं अपनी बच्चियों का बाल विवाह नही होने दूंगा। कुछ पुरूषों ने कहा कि समाज में लड़कियां सुरक्षित नही हैं इस लिए माॅ बाप उनकी शादी जल्दी कर देते हैं ताकि लड़की अपने घर की हो जाये। बच्चियों ने समुदाय को बाल विवाह कानून के बारे में बताते हुए समाज़ को लड़कियों के प्रति संवदेनशील होने व लड़कियों को भी एक नागरिक के रूप में स्वीकार करने की अपील की, साथ ही यह भी कहा कि बच्चियों का बाल विवाह करने या सुरक्षा के ड़र से पढ़ाई छुडा कर घर में बिठाने के बजाये लड़कों को शिक्षित व जागरूक करें ताकि लड़कियां अपनी जिन्दगी को खुल कर जी सकें।

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