हम भारत की बेटियाँ वर्तमान परिवेश में हमारा आत्म सम्मान और सुरक्षा पर एक नजर

मुघराबाद शाहपुर

हम सभी लड़कियां आज- कल के परिवेश में बिलकुल असुरक्षित महसूस करती है हम सब लड़कियां जब भी किसी ऐसी जगह से गुजरते है जहाँ दो चार लड़के हो तो डरते है कि कही हमारे साथ भी “दिल्ली गैग रेप केस” जैसा कोई हदसा न हो जाये | हमारे लिए एक नया कानून बनना चाहिए जो खास लड़कियों के लिए हो |
जुर्म के लिए कोई शक्ति से भरी सजा हो तो और अगर आम जनता पहले ही ऐसे जुर्म के खिलाफ आवाज उठती हो शायद ऐसा जुर्म कभी नहीं होता ।
लड़कियां लड़को से किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है । तो फिर क्यों लड़कियों के चलने, खाने, बात करने कपड़े और पढाई लिखाई पर सवाल उठाया जाता है क्या हमें इस दुनिया में गर्व के साथ रहने का अधिकार नही है तो फिर लड़कियों पर सवाल क्यों, लड़को पर नही । लड़कियों को अपने आत्म सम्मान की और अपनी सुरक्षा के लिए अपने बैग में मिर्ची का पाउडर या और कुछ ऐसा भी जो उनके काम आ सके | अगर वो किसी ऐसी जगह पर फस जाए तो इसका इस्तेमाल करे ।
जहाँ भी जाये अपने घर में बता कर उनकी सहमती से ही जाए और कभी किसी भी तरह के लालच में न आए ।

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सुधार की आव्यशकता

सोनभद्र – चतरा

हत्या और लिंग परिक्षण पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए।
जो भी कानून इस सन्दर्भ में है उनका कड़ाई से पालन होना चाहिए अन्यथा इन कानूनो का कोई मतलब नहि।
पुरषों को को किसी भी औरत को बुरी नज़र से नहीं देखना चाहिए और ये याद रखना चाहिए की वह भी किसी की माँ, बहन एवं बेटी हैं।

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दहेज़ प्रथा के कारण असम्मान

लालगंज -गिरिज्य

बेटियों को दहेज़ प्रथा के कारण सम्मान नहि मिलता हैं । दूसरा कारण लोगो की धारणा है की लडकियाँ कमजोर होती है ।
हमे कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए और कुप्रथा को समाप्त करना चाहिए ।
व्यवसायिक शिक्षा का कोर्स कराने चाहिए
गाँव में तथा जिलो में नौकरियाँ दी जाये
लोगों को जागरूक करना होगा और
लड़कियों के खाने पीने पर ध्यान देना चाहिए ।

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मेरे भगवान बताओ

घोरवल -सोनभद्र

अगर कोई मेरे साथ छेड़खानी व अपमान जनक इशारा करता है या अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करता है तो हम उसका विरोध करेगें । उस समय अगर मेरे पास कोई वस्तु जैसे बाल्टी, चप्पल, मिट्टी, ब्लेड उससे उसका मुकाबला करेगें । उसके कोमल अंगो पर प्रहार करेगें । आस पास जो लोग रहेगें उन्हें भी बताएगें । उसके बाद लोगो की मदद से पुलिस में रिपोर्ट करेगें और साथ में रहने वाले लोगो की सहायता लेंगे । यदि सुनसान जगह हो तो शोर मचाकर भागने का प्रयत्न करेगें और अपने माता पिता को बताएगें ।
छेड़खानी के विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग करते है । लोगो को एहसास कराने का प्रयास करेगें की सब की माँ बहन भी है

लड़की का है मान जगत में ।
मेरे भगवान बताओ
क्या लड़की इन्सान नही ।
लड़का हो पैदा जब घर में
खुशियाँ खूब मनाते है ।
महिलाए वो हर मंगल गाती
गोले दागे जाते है ।
जब वही जन्म लड़की होते हैं ।
उसका होतो क्यों सम्मान नही ।
लड़की ही थी इंद्रा गाँधी
जिसने जग में नाम किया
लड़की ही थी झाँसी की रानी
रण में जाके संग्राम किया
आज उसी लड़की का होता क्यों सम्मान नही ।
मेरे भगवान बता दो क्या लड़की इंसान नही ।

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शोषित

संगीता और रानी

कक्षा – 7
स्कूल- के.जी.बी.वी जौनपुर

चुकिं भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ साथ एक पुरुष प्रधान देश भी है । अर्थात भारत में बेटी शब्द ही असुरक्षित अनचाही और असमाजिकता का प्रतीक माना जाता हैं ।
सबसे पहले तो यह जानना बहुत आवश्यक है कि बेटियाँ अनचाही क्यों है । अर्थात जो माँ स्वयं किसी की बेटी किसी की बहन और किसी की पत्नी है वह स्वयं अपनी ही बेटी को जन्म नहीं देना चाहती हैं । इस प्रकार इस दुनिया में आने से पहले ही बेटियाँ अनचाहे और सौतेलेपन का शिकार हो जाती हैं । परन्तु यदि गलती से बेटियों का जन्म भी हो जाता है तो वह इस शाषित समाज में असुरक्षा की भावना से ग्रसित रहती है ।
इसका जीता जागता उदारहण है दिल्ली गैगरेप शिकार हुई । उस दामिनी का जिसको समाज ने बेटी होने का दंड भोगना पड़ा । अतः इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों की मलीन मानसिकता और दुविचार तुक्ष भावनाएँ और शारीरिक बलिष्टता तथा बेरोजगारी और अशिक्षा के कारण ही समाज में बेटियाँ असुरक्षित है ।
आज के इस पढ़े लिखे सभ्य समाज की अशिक्षित तुक्ष भावनाएँ ही बेटियों के विकास में बंधक बनी हुई हैं । इस समाज का बहय आडम्बर हो आकर्षक और उत्कृष्ठ है परन्तु आंतरिक रूप से यह विचारहीन और खोकला है ।
सदियों से यह समाज बेटियों से दुर्व्यहवार और दुर्विचार का प्रतीक रहा है । जिससे नारी का रूप दुर्गा, काली, शक्तिशाली तथा समाजिक न होकर अबला शोषित शक्तिहीन और असमाजिक हो जाता है
आज के समाज में महिलाओं को सबला का नाम दिया गया है परन्तु यह भावना विलुप्त हो चुकि है कि नारी तुम केवल श्रध्दा हो विश्वास रजत नग पग तल में पीयूष स्त्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में ।
बेटी का जन्म हुआ तो मातम का दिन आया रे ।
घर संसार दुखी हुआ इससे, घोर अँधेरा छाया रे ।
पर ईश्वर की प्यारी बेटी
दुनिया की नही प्यारी रे
उसके बिना कोई बात नही बनती
पर दुनिया से हारी रे
बियाह हुआ ससुराल गई जब
तोड़ दे बंधन सारे
कुछ ही दिन के बाद खबर मिली
उसको दिया जलाया रे
बेटी का जन्म हुआ तो
मातम का दिन आया रे ।

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सुझाव

किरन मिश्रा

 के.जी.बी.वी  धरमपुर जौनपुर

प्राचीन भारत में जहाँ नारियों को देवी का स्थान प्राप्त था वही भारत में 90% लोग बेटियां नही चाहते है । उनका कारण सिर्फ शिक्षा ही नही बस हमारे समाज में लडकियों को लेकर सुरक्षा भी शामिल हैं । यदि माँ अपनी बेटी को पैदा करना चाहती है तो परिवार के दबाव से वह ऐसा नही कर पाती है और उसकी गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है परिवार और समाज में बेटियों को वह स्थान नही प्राप्त है जो बेटो को दिया जाता है आज भी लगभग सभी परिवारो में बेटे और बेटी में असमानता बनी हुई है ।

दिल्ली गैग रेप घटना ने लड़कियों की सुरक्षा में एक सवाल उठा दिया गया है। आए दिन गाँव से लेकर बड़े शहरो में बच्चियों की सुरक्षा कही नही हो पा रही है । घर परिवार से लेकर सभी स्थानों पर महिलाओं की यही दशा है यदि लड़किया अपने घर में ही सुरक्षित नही है तो बाहर की कौन जिम्मेदारी लेगा।

सुझाव

कड़े कानून बनाना  चाहिए जिससे उन्हें तुरंत सजा मिले ।
सजा ऐसी हो की आगे लोगो को सबक मिले ।
लड़कियों को मानसिक रूप से सक्षम  बनाया जाए । कि वे हर  परिस्थिति के लिए तैयार रहें।
लड़कियों को जुडो, कराटे व बॉक्सिंग भी सिखाया जाए । साथ ही साथ हम माताओं को अपने बेटों को  संवेदनशील बनाएं तभी हमारा देश के लोगों में सुधर आयेगा |

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मुहतोड़ जवाब

सुजानगंज
कस्तूरबा गाँधी विद्यालय

हमे आत्मनिर्भर और अपने आप पर विश्वास होना चाहिए । अभी तक घरेलू हिंसा के कारण भारत की बेटियाँ घर से बाहर निकलने में असमर्थ थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है हम भारत की बेटियां स्वतंत्र रूप से पढ़ – लिख कर अपने पैरो पर खड़ा होना चाहती है, लेकिन अपने पैरो पर खड़े होने के लिए, हम लड़कियों को बाहर आना जाना, मतलब सड़क पर चलना पड़ता है। लड़कियों को सड़क पर चलते हुए, लड़के बोलियाँ बोलते है, लेकिन हम लड़कियों को नजर अंदाज कर देना चाहिए, अगर लड़के छेड़खानी करते है तो हम लड़कियों को मुहतोड़ जवाब देना चाहिए और डटकर सामना करना चाहिए। सबसे जरुरी बात है कि अगर लड़की का पीछा लड़का करता है तो उसे कभी भी सूनसान जगह पर नही रुकना चाहिए जहाँ पर अधिक से अधिक लोग हों वहाँ पर जाकर सभी लोगों को बता देना चाहिए और सबसे बड़ी बात है कि लड़कियों को अपने आप पर काबू रखना चाहिए क्योंकि हर माँ- बाप की यह सोच होती है कि उनकी बेटियाँ बड़ी होकर एक होनहार लड़की बनेगी। मेरी यह विनती है कि प्रार्थना हैं कि मेरे भाईयों किसी दूसरे कि बहन बेटियों को छेड़ते वक्त, अपनी बहन बेटियों को जरुर याद करें। हम लड़कियों को रात को ज्यादा देर तक घर से बाहर नही रहना चाहिए और तभी हम लड़कियां सेफ रह पाएँगी ऐसे केस न हो इसके लिए सक्त से सक्त कानून बनाना चाहिए । दिल्ली गैग रेप हुआ उसके बाद ये बहुत आवश्यक हो गया है कि हम लड़कियों को अपनी सेफ्टी के लिए कुछ ऐसा लेकर चलना चाहिए जिसे लड़कियां अपनी सुरक्षा कर सके ।

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माहौल

जौनपुर- बस्ती के.जी.बी.वी

नागरिकों को हमेशा सचेत रहना चाहिए उन्हें अपने पास के माहौल एवं गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए और मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और यातायात पुलिस को भी अपने कार्यो के प्रति सचेत रहना चाहिए बसों में काले शीशे और ढके हुए पर्दे नहीं लगे होने चाहिए महिलाओ की सुरक्षा के लिए कड़े से कड़ा कानून जैसे फांसी सजा निर्धारित करनी चाहिए । यदि इन सब बातों का ध्यान रखा गया होता तो यह घटना नहीं होती । लड़कियों को बचपन से ही माता पिता एवं अध्यापिका द्वारा स्वयं को सुरक्षा समबन्धित बाते बतानी चाहिए जिससे यदि भविष्य में दामिनी जैसी स्थिति का सामना करना पड़े । तो स्वयं ही अपनी सुरक्षा के लिए महिला हेल्पलाइन आदि सुविधाओं का प्रयोग कर ले । पुलिस को भी अपने कर्तव्य के लिए जागरूक किया जाये क्योकि पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त नही है

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Inter House Music Competition (Middle School)

Classical Indian music is a rich component of Indian culture. This year children of classes 6, 7, and 8 presented” Chota Khayal”on 30th  Jan 2013. The honourable Chief Guest and judge was Mrs Astha Goswami who was fortunate to be trained by Girija Devi. Asthaji herself had won 29 distinguished prizes. Other Judges were Mrs Shalini Chandra and Brijendra Srivastava from Study Hall.

Class VIII solo singers brightened up the audience with raag “Kirwani” Shridhar Choudhary from Fireflame bagged the first prize followed by Aman Srivastava with a close second.

Class VII amazed the judges by singing in raag “Hindol” Arjun Choudhary from Jacaranda and Karan Singh got first position. Bhanu Pratap from Cypress House sang his way to the second place.

Class VI sang in raag “Adana”. Their standard was remarkably high even though it was their first year of training at school. Arundhati Singh from Jacaranda house was placed first followed by Gauri Singh from Cypress House.

Overall House Positions are as follows.

Jacaranda- First

Silver Oak/ Fireflame-Second

Cypress-Consolation

The judges praised the school’s effort to sensitize the students to the multifaceted charm and elegance of Indian music. The audience was treated to a soulful performance by the Chief guest.

REPUBLIC DAY 2013 CELEBRATED WITH SOBRIETY

The sun was resplendent in all its glorious warmth yet a cold shiver went through each one of us as we gathered in the courtyard to pay homage to our Nation on 26th January 2013 – yet another Republic Day. However celebratory it might be but the gloom hung low over each one of us, owing to shameful events of last month.
The events began with Dr. Urvashi Sahni hoisting the National Tricolour after which the congregation sang the National Anthem with great fervour, as the entire fraternity paid tribute to the Nation.
The Principal, Mrs. Shalini Sinha congratulated the Study Hall community with conscious restraint and her speech was relevance personified. Her appeal to all was focused on nurturing and ensuring the safety of the daughters of India and caring for the aged.This was followed by the Vice-Head Girl Saumya Tandon’s address where she elicited the true meaning of a ‘republic’ and touched sensitive chords in every heart. After her, the students of Class VII recited the poem ‘Brainstorming’ which was an exemplary exercise in correct intonation and enunciation. Indeed, the diction was superb! The students of Classes VI and VII melodiously experimented with the song ‘One Love’ which everyone enjoyed a lot.
The much awaited ‘Inter-House Hindi Debate’ began with tremendous fervour. The speakers spoke with conviction and courage. The motion, ‘Abhivyakti ki swatantrata par niyantran avashyak hai’ was very apt and contemporary. Kudos to its selectors! The speakers exhibited logic, restraint, humour, sobriety – they had it all and were indeed very convincing and impressive. Manoram Agarwal of Fire-Flame House was adjudged the winner for the proposition while Sansriti Sen of Jacaranda House was declared the best speaker from the opposition bench. The Winning House was Jacaranda and the Runner-Up was Cypress House. The rebuttal rounds were the best as the participants were extremely refreshing and reassuring in whatever they said. They seemed impressively decisive and probably swayed decions in favour of the speakers.

After the Debate, Dr Sahni addressed the congregation and in accordance with the topic of the debate stated the dilemma that we all contend with – freedom of expression precariously and pleasantly balanced with restraints and censorship. She went on to say that freedom of expression must be there but it must not cross into or be offensive to the fundamental rights of another. She concluded by saying that if we are to remain a vibrant democracy then we must be open to debate as well as well supported by serious implementable laws. Dr Sahni not only declared the debate results but also the much awaited results of the Student Cabinet elections. Dharam Pravartak as Head Boy, Arman Kuckreja as Vice Head Boy, Rohina Dass as Head Girl and Aiman Jafri as Vice Head Girl stand elected for 2013-14. The outgoing cabinet congratulated the newly elected student representatives and unanimously cautioned them that they must not let the badge control them. Instead, they must lead the school forward to conquer new realms.
Next on stage were three Prerna Girls who stole the show with their thought provoking and extremely sensitive expressions in verse. They left us wondering, ‘why we write in the lives of our daughters a long dark endless night’.
Summing up the morning’s proceedings was the emotionally wrought and extremely forthright address of Parth Shukla, the Vice Head Boy and the congregational song ‘Mera mulk, mera desh mera yeh watan’ full of patriotic flavour.
Sweets and muffins for all were the ultimate on the list before the children went home to spend the rest of the day with their family.

Article written by Anusha Sharma